माँ........
तुम्हारी अर्पण और तर्पण का मूल हूँ मै,
तुम्हारी ही चरणों का धूल हु मै।
Sandep yadav
माँ........
तुम्हारे ही रग - रग से सिंचा हुआ कुल हु मै ,
तुम्हारी ही चरणों का धूल हु मै।
Sandep yadav
माँ. ......
वो आँगन में लोरी और तेरी लोरी से बुलबुल हु है।
तुम्हारी ही चरणों का धूल हु मै।
Sandep yadav
माँ........
चाहे शर्दी चाहे गर्मी बरगद बन रखवार किया।
एक माँ बस तू ही है जिसने मेरा उद्धार किया।
Sandep yadav
माँ........
खुद सोया गीले करवट,मेरे दुःख को काट दिया
आँख बिछाये रहती है जब तक घर ना जाता हु।
Sandep yadav
माँ.........
दुःख का हरणी तू है माँ, सुख प्रणय मै लेता हु,
तुम्हारे तनय के कलकल का मै तुम्हारा बेटा हु।
Sandep yadav