अरे देखो, जिंदगी कितनी हसीन हो गयी,
वो खेले ऐसे की तमाशबीन हो गयी|
ये प्यार, वार, दर्द, मोहब्बत, सब कुछ,
ये तन्हाई, जुदाई, खुदरंग होकर, संगीन हो गयी
By Sandeep Yadav
अरे, एक शौक ही तो था मेरा, एक जिद को ही तो पाला था,
रखेगें सिर अपना दामन में,
वो शौक भी खाकेनसीन हो गयी,
वो खेले ऐसे की तमाशबीन हो गयी|
By Sandeep Yadav
चलो, मान लेते आप बहुत खुश होते हैं,
लेकिन ये बताओ कि हम वैसे ही, क्यु नहीं जीते हैं,
क्यों बेखबर हो अपने ही तकल्लुफ से,
कभी अपने आईने को बुलाकर के पुछो,
By Sandeep Yadav
क्या असर हैं उस पुरानी कसक का,
कभी पंख फड़फड़ा कर के देखो,
क्या बचा हैं क्या ही बचा हैं,
By Sandeep Yadav
सब तेरी यादों की आॕधियो में गमगीन हो गयी,
वो खेले ऐसे की तमाशबीन हो गयी||
By Sandeep Yadav